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क्या है मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान का राज? जानिए इस प्रसिद्ध पेंटिंग की अनकही कहानी!

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मोनालिसा की कहानी: एक अद्भुत कला का सफर

Mona Lisa Ki Kahani (Photo - Social Media)

Mona Lisa Ki Kahani (Photo - Social Media)

मोनालिसा का इतिहास: कला की दुनिया में कुछ कृतियाँ ऐसी होती हैं जो केवल प्रसिद्ध नहीं होतीं, बल्कि किंवदंती बन जाती हैं। मोनालिसा... इस नाम से ही एक रहस्यमयी मुस्कान वाली महिला की छवि मन में उभर आती है। यह चित्र आज लाखों लोगों को आकर्षित करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोनालिसा हमेशा इतनी प्रसिद्ध नहीं थी? दरअसल, एक साहसिक चोरी ने इसे वह ख्याति दिलाई, जो आज हम देखते हैं।

लियोनार्डो दा विंची द्वारा बनाई गई 'मोनालिसा' एक अमर कृति है। इसकी रहस्यमयी मुस्कान और अद्वितीय चित्रण ने इसे कला प्रेमियों के दिलों में एक विशेष स्थान दिलाया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'मोनालिसा' केवल अपनी खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि एक सनसनीखेज चोरी के कारण भी "दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग" बनी? इस लेख में हम जानेंगे उस चौंकाने वाली घटना के बारे में जिसने 'मोनालिसा' को शाश्वत प्रसिद्धि दिलाई।


मोनालिसा की रचना का समय मोनालिसा का इतिहास

मोनालिसा की रचना 1503 से 1506 के बीच मानी जाती है, हालांकि कुछ इतिहासकार मानते हैं कि दा विंची ने इसे कई वर्षों तक सुधारते रहे और शायद उन्होंने इसे 1517 तक पूरी तरह समाप्त नहीं किया। यह चित्र लकड़ी के पैनल पर ऑयल पेंटिंग से बनाया गया है।


मोनालिसा का परिचय मोनालिसा का परिचय

चित्र में दिखाई गई महिला के बारे में कई मत हैं, सबसे आम मान्यता यह है कि यह चित्र फ्लोरेंस की एक महिला, लिसा गेहरार्दिनी, की है, जो एक व्यापारी फ्रांसेस्को डेल जियोकोंडो की पत्नी थीं। इसीलिए इसे La Gioconda कहा जाता है, जिसका अर्थ है “जियोकोंडो की स्त्री”। लेकिन मोनालिसा की पहचान उसके पीछे के रहस्य और उसके अद्वितीय आकर्षण के कारण बनी रही।


लियोनार्डो दा विंची की अद्भुत कृति लियोनार्डो दा विंची की अद्भुत कृति

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मोनालिसा को इटली के महान चित्रकार लियोनार्डो दा विंची ने 16वीं शताब्दी की शुरुआत में, लगभग 1503 से 1517 में, बनाया था। इस चित्र में एक महिला को शांत मुस्कान के साथ दर्शाया गया है, जिसकी आँखें देखने वाले का पीछा करती प्रतीत होती हैं। इसकी तकनीक, बारीकी और रहस्य ने कला प्रेमियों को हमेशा आकर्षित किया है।
चोरी की घटना 1911 का ऐतिहासिक दिन

21 अगस्त 1911 को पेरिस के मशहूर लूव्र संग्रहालय में काम करने वाले कर्मचारियों ने देखा कि दीवार पर टंगी मोनालिसा गायब है। पहले तो उन्होंने सोचा कि शायद किसी फोटोग्राफर ने उसे फोटो लेने के लिए उतारा होगा। लेकिन जल्द ही स्पष्ट हो गया कि पेंटिंग चोरी हो गई थी। पूरे फ्रांस में हड़कंप मच गया। अखबारों में खबरें छपने लगीं - "La Joconde est Partie!" (मोनालिसा गायब हो गई है!)


पुलिस की भागदौड़ पुलिस की भागदौड़ और गलत आरोप

पेरिस पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। प्रसिद्ध कवि गिलाउम अपोलिनेर और महान चित्रकार पाब्लो पिकासो तक से पूछताछ हुई, क्योंकि उस समय वे कला से जुड़ी वस्तुओं की चोरी में संदिग्ध माने जाते थे। हालांकि, असली चोर कोई नामी व्यक्ति नहीं था, बल्कि एक साधारण इतालवी कारीगर था, विन्सेन्जो पेरुजिया।


चोर का परिचय चोर कौन था?

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विन्सेन्जो पेरुजिया एक ग्लास इंस्टालर था, जो कभी-कभी लूव्र म्यूजियम में काम किया करता था। उसे पक्का विश्वास था कि मोनालिसा इटली की राष्ट्रीय धरोहर है, जिसे नेपोलियन के समय फ्रांस ले आया गया था। अपने देशभक्ति-भावना से प्रेरित होकर उसने सोचा कि उसे मोनालिसा को वापस इटली ले जाना चाहिए।
चोरी की प्रक्रिया चोरी कैसे हुई?

चोरी का तरीका उतना ही दिलचस्प था जितना कि घटना स्वयं। विन्सेन्जो पेरुजिया ने एक दिन संग्रहालय के कर्मचारियों की वर्दी पहन ली। वह सुबह जल्दी म्यूजियम में घुसा, जब भीड़ नहीं थी। चुपके से मोनालिसा को दीवार से उतारा, उसे अपने कपड़ों के अंदर छुपाया और म्यूजियम से निकल गया। कोई उसे रोक भी नहीं पाया क्योंकि उसे स्टाफ का सदस्य समझा गया।


चोरी का रहस्य चोरी का रहस्य

चोरी का मास्टरमाइंड था विंचेंजो पेरुजिया, एक इतालवी कांच मजदूर, जो पहले लुव्र संग्रहालय में काम कर चुका था। पेरुजिया का मानना था कि मोनालिसा को फ्रांस से चुराकर इटली वापस लाना चाहिए, क्योंकि उसे लगता था कि नेपोलियन के समय में यह चोरी से फ्रांस लाई गई थी (हालाँकि, यह सच नहीं था मोनालिसा को स्वयं लियोनार्डो दा विंची फ्रांस लाए थे)।


दुनिया भर में सनसनी दुनिया भर में सनसनी

मोनालिसा की चोरी ने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी। अखबारों में उसकी तस्वीरें छपने लगीं। हर कोई यह जानना चाहता था कि इतनी मूल्यवान कृति को कौन ले गया? यहाँ तक कि महान चित्रकार पाब्लो पिकासो से भी पूछताछ की गई थी! पूरे दो साल तक मोनालिसा का कोई सुराग नहीं मिला, और इस बीच मोनालिसा का रहस्य और भी गहरा होता गया।


मोनालिसा की वापसी मोनालिसा कैसे मिली वापस?

1913 में, दो साल बाद, पेरुजिया ने फ्लोरेंस के एक कला डीलर को मोनालिसा बेचने की कोशिश की। वह खुद को देशभक्त बताकर इसे इटली लौटाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन डीलर को शक हुआ और उसने तुरंत अधिकारियों को सूचित कर दिया। पेरुजिया गिरफ्तार हुआ और मोनालिसा सुरक्षित रूप से लुव्र लौट आई। उसे कुछ ही महीनों की सजा मिली, क्योंकि इटली में उसके "देशभक्ति" के भाव को सहानुभूति मिली थी।


मोनालिसा की गायब होने की कहानी मोनालिसा दो साल तक कहां रही?

चोरी के बाद पूरे यूरोप में मोनालिसा के गायब होने की खबरों ने तहलका मचा दिया। अखबारों में उसकी चर्चा रोज होने लगी। पेंटिंग की रहस्यमय मुस्कान को और भी रहस्यमयी बना दिया गया। कई कहानियाँ और अफवाहें फैलने लगीं क्या जासूसों ने उसे चुराया? क्या कोई राजा उसे चाहता था? या फिर कोई अमीर संग्रहकर्ता?

असल में, पेरुजिया ने मोनालिसा को अपने पेरिस स्थित एक छोटे से कमरे में अलमारी के पीछे छुपा कर रखा। वह दो साल तक सही मौके का इंतजार करता रहा कि कब वह उसे इटली ले जाकर इतालवी सरकार को सौंपेगा।


मोनालिसा की वापसी का जश्न जब मोनालिसा वापस मिली

1913 में, दो साल बाद, पेरुजिया ने फ्लोरेंस के एक कला डीलर को मोनालिसा बेचने की कोशिश की। वह खुद को देशभक्त बताकर इसे इटली लौटाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन डीलर को शक हुआ और उसने तुरंत अधिकारियों को सूचित कर दिया। पेरुजिया को गिरफ्तार कर लिया गया और मोनालिसा सुरक्षित रूप से वापस लूव्र संग्रहालय ले जाई गई। पेरुजिया पर मुकदमा चला। चूंकि उसके इरादे को "देशभक्ति" से प्रेरित माना गया, इसलिए उसे केवल एक साल और 15 दिन की सजा हुई। इटली में उसे कई लोग 'हीरो' के रूप में भी देखा।


मोनालिसा की प्रसिद्धि का कारण चोरी ने मोनालिसा को क्यों इतना प्रसिद्ध बनाया?

इससे पहले भी मोनालिसा एक प्रशंसनीय पेंटिंग थी, लेकिन वह सिर्फ कला प्रेमियों और विशेषज्ञों के बीच ही लोकप्रिय थी। चोरी के बाद अखबारों, पत्रिकाओं और सार्वजनिक चर्चा में इसका जो तूफान आया, उसने मोनालिसा को एक सांस्कृतिक आइकन बना दिया। जब पेंटिंग को वापस लाया गया तब मोनालिसा की वापसी किसी विजेता की तरह हुई। उसे एक नायक की तरह देखा जाने लगा। मीडिया, पत्रकार, कला प्रेमी सभी मोनालिसा की कहानी को फैलाने लगे। उसे इटली के कई शहरों में प्रदर्शित किया गया, और लाखों लोगों ने मोनालिसा को देखने के लिए भीड़ लगाई। इसने उसे वह अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, लोग उसे देखने के लिए उमड़ पड़े, न कि केवल उसके रहस्यमय मुस्कान के लिए, बल्कि उसकी रोमांचक चोरी की कहानी के लिए भी। यही वह क्षण था, जब मोनालिसा मात्र एक कलाकृति से बदलकर एक संस्कृति का प्रतीक बन गई और जो आज तक कायम है।


मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान

चोरी की घटना से पहले भी मोनालिसा की मुस्कान ने कलाकारों और दर्शकों को आकर्षित किया था। पर चोरी के बाद इस मुस्कान का मतलब और गहरा हो गया जैसे वह जानती हो कि वह अब विश्व की सबसे चर्चित और पहचानी जाने वाली मुस्कान है।

कई वैज्ञानिकों, कलाकारों और मनोवैज्ञानिकों ने इस मुस्कान के रहस्य को सुलझाने की कोशिश की है। कुछ कहते हैं कि यह खुशी और दुख के बीच का क्षण है, तो कुछ इसे केवल लियोनार्डो की बेहतरीन पेंटिंग तकनीक मानते हैं।


मोनालिसा के अन्य रहस्य मोनालिसा के अन्य रहस्य

मोनालिसा की प्रसिद्धि केवल चोरी तक सीमित नहीं है। उसके आसपास कई और रहस्य भी हैं:

आँखों का प्रभाव - ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी आँखें हर कोण से देखने पर भी आपको देखती रहती हैं।

लुप्त हो रहे रंग - चित्र समय के साथ मद्धम हो रहे हैं, लेकिन संरक्षण प्रयासों से उसे जीवित रखा गया है।

कई परिकल्पनाएँ - कुछ का मानना है कि यह स्वयं दा विंची का सेल्फ-पोर्ट्रेट हो सकता है, जबकि कुछ इसे अलौकिक बताते हैं।


आज की मोनालिसा आज की मोनालिसा

आज मोनालिसा लुव्र संग्रहालय में बुलेटप्रूफ शीशे के पीछे रखी जाती है। हर साल लाखों लोग दुनिया भर से केवल उसकी एक झलक पाने के लिए आते हैं। वह सोशल मीडिया, विज्ञापन, साहित्य, और पॉप-कल्चर का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। यदि पेरुजिया ने 1911 में मोनालिसा नहीं चुराई होती, तो शायद आज वह केवल कला के कुछ प्रेमियों के बीच ही प्रसिद्ध होती, ना कि एक वैश्विक सांस्कृतिक प्रतीक बनती।


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